सोमनाथ हिन्दी साहित्य के कालजयी उपन्यासों में से है। बहुत कम ऐतिहासिक उपन्यास इतने रोचक और लोकप्रिय हुए हैं। बारह ज्योतिर्लिंग में सोमनाथ की आस्था अग्रामी है। विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने भी इस मंदिर के वैभव को कई बार लूटा |सूर्यवंशी राजाओं से डरने के बाद भी लूट का सिलसिला सदियो तक चला | सोमनाथ का दूसरा पहलू भी है जो जीवन्त हुआ है | मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती है | घुंघरूओ की झंकार जनमानस के जीवन की लाया को ताल देती है|
आचार्य चतुरसेन शास्त्री का जन्म 26 अगस्त, 1891 को भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के बुलंदशहर जिले के एक छोटे से गाँव औरंगाबाद चंडोक (अनूपशहर के पास) में हुआ था। उनके पिता पंडित केवाल राम ठाकुर थे और माता नन्हीं देवी थीं। उनका जन्म का नाम चतुर्भुज था। अपनी प्राथमिक शिक्षा समाप्त करने के बाद उन्होंने राजस्थान के जयपुर के संस्कृत कॉलेज में दाखिला लिया जहाँ से उन्होंने वर्ष 1915 में आयुर्वेद और शास्त्री में आयुर्वेद की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने आयुर्वेद विद्यापीठ से आयुर्वेदाचार्य की उपाधि भी प्राप्त की।