वह एक सुंदर तरुण, भावुक और प्रेमी पुरुष था! उसकी आंखे मेरे लिए प्यारी थी, शरीर मेरे लिए बुखा था! उसकी भूख और प्यार मेरी आँखों से ओझल न थी! रजा के जर्जर और रोगी शरीर तथा घावों से भरे हुए शरीर की अप्रेक्षा सुसकी जवानी का भरा-पूरा गठीला परिश्रमी शरीर मेरे लिए कम लोभ की वास्तु न थी! आखिर वो मेरा परिणित पति था, मई उसकी व्यवाहिक स्त्री थी.
आचार्य चतुरसेन शास्त्री का जन्म 26 अगस्त, 1891 को भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के बुलंदशहर जिले के एक छोटे से गाँव औरंगाबाद चंडोक (अनूपशहर के पास) में हुआ था। उनके पिता पंडित केवाल राम ठाकुर थे और माता नन्हीं देवी थीं। उनका जन्म का नाम चतुर्भुज था। अपनी प्राथमिक शिक्षा समाप्त करने के बाद उन्होंने राजस्थान के जयपुर के संस्कृत कॉलेज में दाखिला लिया जहाँ से उन्होंने वर्ष 1915 में आयुर्वेद और शास्त्री में आयुर्वेद की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने आयुर्वेद विद्यापीठ से आयुर्वेदाचार्य की उपाधि भी प्राप्त की।